राज्य शासन के मंशा अनुसार जिले में ग्रीष्मकालीन धान को हतोत्साहित करते हुए कृषकों को दलहन तिलहन एवं मक्का की खेती हेतु जागरूक करना है, जिसके लिए कलेक्टर श्री शिव अनंत तायल के निर्देशानुसार कृषि विभाग द्वारा फसल चक्र में परिवर्तन के तहत ग्रीष्मकालीन धान के बदले कम समय एवं कम सिचाई जल में अधिक पैदावार देने वाले दलहन-तिलहन एवं मक्के बोने के लिए समसामयिक सलाह देने के साथ साथ उनकी उन्नत किस्म के बीज मिनीकिट के रूप में विभागीय योजना अंतर्गत उपलब्ध कराये जा रहे है। जिसके परिणाम स्वरूप गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष रबी क्षेत्राच्छादन मे आशा अनुरूप बढोत्तरी हुई है एवं ग्रीष्मकालीन धान के रकबे में कमी आई है।
उप संचालक कृषि बेमेतरा ने बताया की जिले में रबी सीजन में पूर्व वर्ष के ग्रीष्मकालीन धान के रकबे 6520 हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष कमी करते हुए केवल 1775 हेक्टेयर में धान बोया गया है। जिसके परिणाम स्वरूप इस वर्ष दलहन तिलहन एवं मक्के के क्षेत्र में आशान्वित वृद्धि हुई। जिले में रबी मौसम में जहॉ एक ओर गेहूॅ पूर्व वर्ष 16850 हेेक्टेयर की तुलना मंे 20360 हेक्टेयर में एवं चना पूर्व वर्ष 100800 हेेक्टेयर की तुलना मंे 112875 हेक्टेयर में बोवाई की गई है। इस प्रकार सभी दलहनी फसलो में पूर्व वर्ष 114840 हेक्टेयर की तुलना में इस वर्ष 13517 हेक्टेयर रकबे में वृद्धि करते हुए कुल 128357 हेक्टेयर में बोवाई एवं तिलहनी फसलो में पूर्व वर्ष 700 हेक्टेयर की तुलना में 209 हेक्टेयर रकबे में वृद्धि करते हुए कुल 909 हेक्टेयर में बोआई की गई है। इसके अलावा 2937 हेक्टेयर में गन्ने की खेती की जा रही है।
जिले में कृषको की आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु सार्थक कदम उठाते हुए 5189 हेक्टेयर में मिश्रित एवं अंतवर्तीय फसलो को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसके अंतर्गत गेहॅू के साथ सरसो 157 हेक्टेयर में, चना के साथ सरसो 3757 हेक्टेयर में, चना के साथ धनिया 730 हेक्टेयर में एवं अन्य फसले बोई गई है इस प्रकार इस वर्ष रबी सीजन में फसलो के रकबे में पूर्व वर्ष 145280 हेक्टेयर की तुलना में कुल 18934 हेक्टेयर रकबे में वृद्धि करते हुए 164214 हेक्टेयर में विभिन्न फसलो की बोवाई कर अधिक पैदावार लेने का प्रयास किया जा रहा है।
कृषको को जैविक खेती प्रोत्साहन अंतर्गत कृषको को वर्मी खाद अपनाने पर जोर देते हुए मिट्टी परीक्षण के आधार पर संतुलित खाद की उपयोग करने की समझाईस दी जा रही है ताकि भूमि की उर्वरकता में वृद्धि हो।